स्वर्ग गर्भ, बचपन और भूतकाल का रूपक है। यह बचपन के उन खूबसूरत दिनों में वापस लौटने की उत्कंठा है जो पूर्णरूपेण चिंताओं से रहित और जिम्मेदारियों से विमुक्त व्यतीत हुए थे। हमारे परिजन हमारी देखभाल करते थे, हमें सुरक्षा प्रदान करते थे और उनसे हमें भरपूर प्रेम और स्नेह मिलता था। वे हमें भोजन कराते थे, कपड़े पहनाते थे और उनके द्वारा हम जीवन के खतरों से सुरक्षित थे; वस्तुतः हम अपने स्वप्निल संसार में आनंदमग्न थे।
वहीं, पुनर्जन्म का अभिप्राय जीवन, वयस्कता और भविष्य से है। हम समय को पीछे नहीं ले जा सकते, हम भूतकाल में नहीं जी सकते। वास्तविक जीवन से भागना समाधान नहीं है। हमें 'घोंसले' से बाहर निकलना होगा और जीवन का सामना करना होगा। 'स्टारवार्स' मूवी में दिखाए गए भविष्य का जीवन एक दिन वास्तविकता होगी किंतु यह सब अपने आप ही नहीं हो जाएगा। इसके लिए हमें काम करना होगा, त्याग करने होंगे और सही चयन करने होंगे ताकि भविष्य के सपनों का संसार साकार हो सके। वे लोग जो आसमान मंे स्थित एक कपोल- कल्पित सेवानिवृत्ति का स्थान (स्वर्ग) चुनने की बजाय पुनर्जन्म अर्थात् वास्तविक जीवन को चुनंेगे, वही भविष्य की दुनिया का आनंद प्राप्त करेंगे। लेखक धर्मा